दुर्घटना घटित होने के बाद ही अक्सर गहरी नींद से जागते है अधिकारी
लुधियाना में चल रहे हैं दूसरे जिलों में रजिस्टर्ड स्कूली वाहन, कुछ प्राइवेट वाहनों पर भी बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर ले जा रहे है
लुधियाना, 8 अगस्त (सम्राट शर्मा) बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सेफ स्कूल वाहन पॉलिसी बनाई गई है ताकि घर से स्कूल और स्कूल से घर बच्चे सुरक्षित पहुंचे। पर अधिकारियों की लापरवाही के कारण स्कूलों के संचालक व बस ऑपरेटर भी लापरवाह हो जाते है जिस कारण दुर्घटनाएं घटित होती हैं। यहाँ बताते चलें कि अधिकारियों को सख्ती से सेफ स्कूल वाहन पॉलिसी लागू करवाने की हिदायतें हैं । लेकिन अधिकारियों को न तो सेफ स्कूल वाहन पॉलिसी की हिदायतों की परवाह है और न ही नन्हें बच्चों की जिंदगी से ।बीते समय में हरियाणा में हुई दुर्घटना के बाद मई महीने में चीफ सैक्रेटरी को रिपोर्ट भेजने के लिए अफसरों ने कुछ दिन शहर में चैकिंग जरूर की थी लेकिन उसके बाद अधिकारी स्कूली वाहनों की जांच के लिए अपने कार्यालयों से बाहर नहीं निकले। खस्ताहाल वाहनों में बच्चों की जान पर हर समय खतरा मंडराता रहता है परन्तु परिवहन विभाग के अधिकारी एवं सेफ स्कूल वाहन कमेटी बसों की जांच करने के लिए संवेदनशील नहीं है । लुधियाना के अलग-अलग स्कूलों में कुछ ऐसे वाहन है जिनकी फिटनेस खत्म हुए वर्षों बीत गए हैं जो बच्चों को लाने-ले जाने में जुटे हुए हैं। इसके अलावा कई स्कूल बसें ऐसी भी हैं जो दूसरे जिलों में रजिस्टर्ड हैं और उन्होंने लुधियाना आरटीओ में ट्रांसफर नहीं करवाया गया है। वह भी बच्चों को घर से स्कूल व स्कूल से घर लाने -ले जाने में लगी है। इतना ही नहीं कुछ प्राइवेट वाहनों को पीला रंग करके स्कूल वाहन में तब्दील किया गया है जबकि उन पर नंबर प्लेट प्राइवेट वाहनों वाली लगी है। कुछ बसें तो ऐसी भी हैं जिनका परिवहन विाग में रिकार्ड ही नहीं है।
क्या कहना है स्कूल बस वेलफेयर एसोसिएशन का --?
स्कूल बस वेलफेयर एसोसिएशन के पुष्पेंद्र जाैली ने जानकारी देते हुए बताया कि शहर के सी स्कूल बस ऑपरेटरों से हर तीन महीने में बसों के दस्तावेज लेते हैं। जिनके दस्तावेज पूरे नहीं होते उन्हें बाहर कर दिया जाता हैं। उन्होंने कहा कि जो बसें 15 साल से पुरानी हैं या जिनके पास फिटनेस नहीं है परिवहन विभाग उन्हें बंद कर दे। जाैली ने कहा कि खस्ताहाल बसें ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में चलती हैं और दुर्घटना भी अक्सर वहीं होती हैं। लेकिन आरटीओ कार्यालय बसों की चेकिंग शहर में करता है और ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता । उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बसों की चैकिंग की जाए ताकि जो खस्ताहाल बसें हैं उन पर कार्यवाई करते हुए बंद किया जाए । इसके अतिरिक्त स्कूल प्रबंधको तथा प्रिंसिपलों को भी इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए ।
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